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Tuesday, February 28, 2017

शाकाहारी तरीके से घर पर विटामिन B-12 बनाने की विधि , How to make vitamin B12 at home

Vitamin B12
शाकाहारी तरीके से घर पर विटामिन B-12 बनाने की विधि🍃
स्वस्थ रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में विभिन विटामिन्स, मिनरल्स, प्रोटीन्स, कार्बोहाइड्रेट्स और फाइबर इत्यादि की आवश्यकता होती हैं। शरीर के लिए ज्यादातर आवश्यक तत्वों का पोषण आहार पदार्थो से हो जाता हैं। एक विटामिन ऐसा है जो शरीर के स्वास्थ्य के लिए बेहद जरुरी है परन्तु आहार तत्वों में वह पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध न होने से ज्यादातर भारतीय लोगो में इस विटामिन की कमी पायी जाती हैं। इस विटामिन का नाम हैं - Vitamin B12
Vitamin B12 को Cobalamin भी कहा जाता हैं। यह एकलौता ऐसा विटामिन है जिसमे Cobalt धातु पाया जाता हैं। यह शरीर के स्वास्थ्य और संतुलित कार्य प्रणाली के लिए बेहद आवश्यक विटामिन हैं।
Vitamin B12 की कमी से शरीर को क्या नुकसान होता हैं और किन खाद्य पदार्थो में यह मिलता हैं इसकी अधिक जानकारी निचे दी गयी हैं :
Vitamin B12 शरीर में निम्नलिखित कार्यो के लिए जरुरी होता हैं :
Vitamin B12 का शरीर में क्या महत्त्व हैं ?
Importance of Vitamin B12
Vitamin B12 शरीर में लाल रक्त कोशिकाओ (Red Blood cells) के निर्माण हेतु जरुरी होता हैं।

Vitamin B12 की कमी के कारण शरीर में रक्त की कमी (Anaemia) हो सकती हैं।

Vitamin B12 शरीर में तंत्रिका प्रणाली (Nervous System) को स्वस्थ बनाये रखता हैं। इसकी कमी के कारण मस्तिष्क आघात (Brain Damage) भी हो सकता हैं।

Vitamin B12 की कमी के कारण शरीर में Folic acid का अवशोषण नहीं हो पाता हैं।

Vitamin B12 की वजह से ह्रदय रोग का खतरा कम रहता हैं।

Vitamin B12 की वजह से कर्करोग और Alzheimer's जैसे रोगों का खतरा कम रहता हैं।

Vitamin B12 शरीर में उर्जा का संचार करता है और बुढापे को दूर रखता हैं।

Vitamin B12 शरीर की रोग प्रतिकार शक्ति बढाता है और साथ ही तनाव से निपटने में मदद भी करता हैं। Vitamin B12 को इसीलिए
भी कहा जाता हैं।

 Vitamin B12 की कमी का क्या कारण हैं ?Causes of Vitamin B12 deficiency
     शरीर में Vitamin B12 की कमी के निम्नलिखित कारण हैं : हजारो में किसी एक को यह रोग होता हैं। Intrinsic Factor यह एक प्रोटीन का प्रकार है जो की Vitamin B12 के अवशोषण के लिए जरुरी होता हैं। कुछ लोगो में इसकी कमी के कारण आहार से Vitamin B12 शरीर में अवशोषण नहीं होता हैं और परिणामतः Vitamin B12 की कमी हो जाती हैं।
 Pernicious Anaemia :
जिन लोगो में किसी वजह से operation कर आमाशय या छोटी आंत का कुछ हिस्सा निकाल देते हैं उनमे Vitamin B12 की कमी पाई जाती हैं।

जो व्यक्ति केवल शाकाहार लेते हैं और कम प्रमाण में दुग्धजन्य पदार्थ लेते हैं।

जो व्यक्ति अम्लपित्त / Acidity से पीड़ित है और उसके लिए PPI दवा हमेशा लेते हैं जैसे की Pantoprazole, Omeprazole इत्यादि।

जिन लोगो की पाचन शक्ति कमजोर है या पेट के रोग से पीड़ित हैं।

जिन व्यक्तिओ को पेट में व्रण / ulcer हैं।

Vitamin B12 की कमी के क्या लक्षण हैं ?Symptoms of Vitamin B12 deficiency
   निम्नलिखित लक्षण हैं :
1. कमजोरी, जल्दी थक जाना
2. आलस
3. रक्त की कमी
4. कमजोर पाचन शक्ति
5. सरदर्द
6. भूंक कम लगना
7. हाथ-पैर में झुनझुनी होना या बधिरता
8. कान में आवाज आना / घंटी बजना
9. त्वचा में पीलापन
10. धड़कन तेज होना
11. मुंह में छाले आना
12. याददाश कम होना
13. आँखों में कमजोरी
14. अवसाद, चिडचिडापन, भ्रम
15. अनियमित मासिक
16. कमजोर रोग प्रतिकार शक्ति
" Anti-Stress Vitamin "
🕉🕉🕉🕉🕉..............शाकाहारी तरीके से घर पर विटामिन B-12 बनाने की विधि🍃

➡एक कटोरी पके हुए चावल लै (Take a bowl of cooked or boiled rice).

➡ चावलों को ठंडा होने दें।

➡ ठंडा होने पर इन चावलों को एक कटोरी दही में अच्छी तरह mix कर दें।

➡ इन mix किये चावलों को रात भर या कम से कम 3-4 घण्टों के लिए fridge में या किसी ठंडी जगह पर रख दें।

➡ बस प्रचुर मात्रा में विटामिन B-12 युक्त 'Fermented Curd-Rice ' खाने के लिए तैयार हैं।

➡ Fermentation की वजह से Vitamin B-12 के अलावा इसमें अन्य B-Complex विटामिन भी पैदा हो जाते हैं।

➡ दही में Lactobacillus नामक Bacteria मौजूद होता है। यह हमारा मित्र bacteria है। यह bacteria जब चावलों के ऊपर action करता है तो B-Complex vitamins पैदा होते हैं और इस विधी को Fermentation कहते हैं।

➡ इन fermented Curd-Rice को और अधिक स्वादिष्ट बनाने के लिए इनमें इमली की चटनी मिला कर भी खा सकते हैं। चटनी मिलाने पर यह इतने अधिक स्वादिष्ट हो जाते हैं कि बच्चे भी इन्हें दही -भल्लों की चाट की तरह बड़े चाव से खाते खा जाते हैं।

➡ इस विधी से बने  Fermented food को pre- digested food भी कहते हैं क्योंकि friendly bacteria के action से यह आधे हजम तो पहले ही हो जाते हैं।

➡ यह इतने अधिक सुपाच्य होते हैं कि जिसको कुछ भी हजम न होता हो उसे भी हजम हो जाते हैं।

➡ पेट की लगभग हर बिमारी का रामबाण इलाज हैं fermented Curd-Rice.

➡ जिन्हें कुछ भी हजम न होता हो या जिनमें विटामिन B-12 की बहुत अधिक कमी हो वह प्रतिदिन तीनों समय भी इन्हें खा सकते हैं। एक महीने में ही अच्छे परिणाम सामने आएंगे।

➡ दही में चावल की बजाये रोटी से भी Fermentation कर सकते हैं। बस चावल की बजाये दही में रोटी डालकर fridge में कम से कम 3-4 घंटों के लिए रखना है , बाकी विधी वही है।🕉 ******* अगर आपको यह article उपयोगी लगा हो तो कृपया इसे अपने मित्रो , रिश्तेदारो और ग्रुपस मे अवश्य शेयर करें।     www.brahmaastha.blogspot.com

पृथ्वी का अमृत.. तिल का तेल


पृथ्वी का अमृत.. तिल का तेल.
यदि इस पृथ्वी पर उपलब्ध सर्वोत्तम खाद्य पदार्थों की बात की जाए तो तिल के तेल का नाम अवश्य आएगा और यही सर्वोत्तम पदार्थ बाजार में उपलब्ध नहीं है. और ना ही आने वाली पीढ़ियों को इसके गुण पता हैं. क्योंकि नई पीढ़ी तो टी वी के इश्तिहार देख कर ही सारा सामान ख़रीदती है.
और तिल के तेल का प्रचार कंपनियाँ इसलिए नहीं करती क्योंकि इसके गुण जान लेने के बाद आप उन द्वारा बेचा जाने वाला तरल चिकना पदार्थ जिसे वह तेल कहते हैं लेना बंद कर देंगे.
तिल के तेल में इतनी ताकत होती है कि यह पत्थर को भी चीर देता है. प्रयोग करके देखें.... आप पर्वत का पत्थर लिजिए और उसमे कटोरी के जैसा खडडा बना लिजिए, उसमे पानी, दुध, धी या तेजाब संसार में कोई सा भी कैमिकल, ऐसिड डाल दीजिए, पत्थर में वैसा की वैसा ही रहेगा, कही नहीं जायेगा... लेकिन... अगर आप ने उस कटोरी नुमा पत्थर में तिल का तेल डाल दीजिए, उस खड्डे में भर दिजिये.. 2 दिन बाद आप देखेंगे कि, तिल का तेल... पत्थर के अन्दर भी प्रवेश करके, पत्थर के नीचे आ जायेगा. यह होती है तेल की ताकत, इस तेल की मालिश करने से हड्डियों को पार करता हुआ, हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है. तिल के तेल के अन्दर फास्फोरस होता है जो कि हड्डियों की मजबूती का अहम भूमिका अदा करता है.
और तिल का तेल ऐसी वस्तु है जो अगर कोई भी भारतीय चाहे तो थोड़ी सी मेहनत के बाद आसानी से प्राप्त कर सकता है. तब उसे किसी भी कंपनी का तेल खरीदने की आवश्यकता ही नही होगी. तिल खरीद लीजिए और किसी भी तेल निकालने वाले से उनका तेल निकलवा लीजिए. लेकिन सावधान तिल का तेल सिर्फ कच्ची घाणी (लकडी की बनी हुई) का ही प्रयोग करना चाहिए.
तैल शब्द की व्युत्पत्ति तिल शब्द से ही हुई है। जो तिल से निकलता वह है तैल। अर्थात तेल का असली अर्थ ही है "तिल का तेल".
तिल के तेल का सबसे बड़ा गुण यह है की यह शरीर के लिए आयुषधि का काम करता है.. चाहे आपको कोई भी रोग हो यह उससे लड़ने की क्षमता शरीर में विकसित करना आरंभ कर देता है. यह गुण इस पृथ्वी के अन्य किसी खाद्य पदार्थ में नहीं पाया जाता.
सौ ग्राम सफेद तिल 1000 मिलीग्राम कैल्शियम प्राप्त होता हैं। बादाम की अपेक्षा तिल में छः गुना से भी अधिक कैल्शियम है।
काले और लाल तिल में लौह तत्वों की भरपूर मात्रा होती है जो रक्तअल्पता के इलाज़ में कारगर साबित होती है।
तिल में उपस्थित लेसिथिन नामक रसायन कोलेस्ट्रोल के बहाव को रक्त नलिकाओं में बनाए रखने में मददगार होता है।
तिल के तेल में प्राकृतिक रूप में उपस्थित सिस्मोल एक ऐसा एंटी-ऑक्सीडेंट है जो इसे ऊँचे तापमान पर भी बहुत जल्दी खराब नहीं होने देता। आयुर्वेद चरक संहित में इसे पकाने के लिए सबसे अच्छा तेल माना गया है।
तिल में विटामिन  सी छोड़कर वे सभी आवश्यक पौष्टिक पदार्थ होते हैं जो अच्छे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक होते हैं। तिल विटामिन बी और आवश्यक फैटी एसिड्स से भरपूर है।
इसमें मीथोनाइन और ट्रायप्टोफन नामक दो बहुत महत्त्वपूर्ण एमिनो एसिड्स होते हैं जो चना, मूँगफली, राजमा, चौला और सोयाबीन जैसे अधिकांश शाकाहारी खाद्य पदार्थों में नहीं होते। ट्रायोप्टोफन को शांति प्रदान करने वाला तत्व भी कहा जाता है जो गहरी नींद लाने में सक्षम है। यही त्वचा और बालों को भी स्वस्थ रखता है। मीथोनाइन लीवर को दुरुस्त रखता है और कॉलेस्ट्रोल को भी नियंत्रित रखता है।
तिलबीज स्वास्थ्यवर्द्धक वसा का बड़ा स्त्रोत है जो चयापचय को बढ़ाता है।
यह कब्ज भी नहीं होने देता।
तिलबीजों में उपस्थित पौष्टिक तत्व,जैसे-कैल्शियम और आयरन त्वचा को कांतिमय बनाए रखते हैं।
तिल में न्यूनतम सैचुरेटेड फैट होते हैं इसलिए इससे बने खाद्य पदार्थ उच्च रक्तचाप को कम करने में मदद कर सकता है।
सीधा अर्थ यह है की यदि आप नियमित रूप से स्वयं द्वारा निकलवाए हुए शुद्ध तिल के तेल का सेवन करते हैं तो आप के बीमार होने की संभावना ही ना के बराबर रह जाएगी. जब शरीर बीमार ही नही होगा तो उपचार की भी आवश्यकता नही होगी. यही तो आयुर्वेद है.. आयुर्वेद का मूल सीधांत यही है की उचित आहार विहार से ही शरीर को स्वस्थ रखिए ताकि शरीर को आयुषधि की आवश्यकता ही ना पड़े.
एक बात का ध्यान अवश्य रखिएगा की बाजार में कुछ लोग तिल के तेल के नाम पर अन्य कोई तेल बेच रहे हैं.. जिसकी पहचान करना मुश्किल होगा. ऐसे में अपने सामने निकाले हुए तेल का ही भरोसा करें. यह काम थोड़ा सा मुश्किल ज़रूर है किंतु पहली बार की मेहनत के प्रयास स्वरूप यह शुद्ध तेल आपकी पहुँच में हो जाएगा. जब चाहें जाएँ और तेल निकलवा कर ले आएँ.

तिल में मोनो-सैचुरेटेड फैटी एसिड (mono-unsaturated fatty acid) होता है जो शरीर से बैड कोलेस्ट्रोल को कम करके गुड कोलेस्ट्रोल यानि एच.डी.एल. (HDL) को बढ़ाने में मदद करता है। यह हृदय रोग, दिल का दौरा और धमनीकलाकाठिन्य (atherosclerosis) के संभावना को कम करता है।
कैंसर से सुरक्षा प्रदान करता है-
तिल में सेसमीन (sesamin) नाम का एन्टीऑक्सिडेंट (antioxidant) होता है जो कैंसर के कोशिकाओं को बढ़ने से रोकने के साथ-साथ है और उसके जीवित रहने वाले रसायन के उत्पादन को भी रोकने में मदद करता है। यह फेफड़ों का कैंसर, पेट के कैंसर, ल्यूकेमिया, प्रोस्टेट कैंसर, स्तन कैंसर और अग्नाशय के कैंसर के प्रभाव को कम करने में बहुत मदद करता है।
तनाव को कम करता है-
इसमें नियासिन (niacin) नाम का विटामिन होता है जो तनाव और अवसाद को कम करने में मदद करता है।
हृदय के मांसपेशियों को स्वस्थ रखने में मदद करता है-
तिल में ज़रूरी मिनरल जैसे कैल्सियम, आयरन, मैग्नेशियम, जिन्क, और सेलेनियम होता है जो हृदय के मांसपेशियों को सुचारू रूप से काम करने में मदद करता है और हृदय को नियमित अंतराल में धड़कने में मदद करता है।
शिशु के हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है-
तिल में डायटरी प्रोटीन और एमिनो एसिड होता है जो बच्चों के हड्डियों के विकसित होने में और मजबूती प्रदान करने में मदद करता है। उदाहरणस्वरूप 100ग्राम तिल में लगभग 18 ग्राम प्रोटीन होता है, जो बच्चों के विकास के लिए बहुत ज़रूरी होता है।
गर्भवती महिला और भ्रूण (foetus) को स्वस्थ रखने में मदद करता है-
तिल में फोलिक एसिड होता है जो गर्भवती महिला और भ्रूण के विकास और स्वस्थ रखने में मदद करता है।
शिशुओं के लिए तेल मालिश के रूप में काम करता है-
अध्ययन के अनुसार तिल के तेल से शिशुओं को मालिश करने पर उनकी मांसपेशियाँ सख्त होती है साथ ही उनका अच्छा विकास होता है। आयुर्वेद के अनुसार इस तेल से मालिश करने पर शिशु आराम से सोते हैं।
अस्थि-सुषिरता (osteoporosis) से लड़ने में मदद करता है-
तिल में जिन्क और कैल्सियम होता है जो अस्थि-सुषिरता से संभावना को कम करने में मदद करता है।
मधुमेह के दवाईयों को प्रभावकारी बनाता है-
डिपार्टमेंट ऑफ बायोथेक्सनॉलॉजी विनायक मिशन यूनवर्सिटी, तमिलनाडु (Department of Biothechnology at the Vinayaka Missions University, Tamil Nadu) के अध्ययन के अनुसार यह उच्च रक्तचाप को कम करने के साथ-साथ इसका एन्टी ग्लिसेमिक प्रभाव रक्त में ग्लूकोज़ के स्तर को 36% कम करने में मदद करता है जब यह मधुमेह विरोधी दवा ग्लिबेक्लेमाइड (glibenclamide) से मिलकर काम करता है। इसलिए टाइप-2 मधुमेह (type 2 diabetic) रोगी के लिए यह मददगार साबित होता है।
दूध के तुलना में तिल में तीन गुना कैल्शियम रहता है। इसमें कैल्शियम, विटामिन बी और ई, आयरन और ज़िंक, प्रोटीन की भरपूर मात्रा रहती है और कोलेस्टरोल बिल्कुल नहीं रहता है। तिल का तेल ऐसा तेल है, जो सालों तक खराब नहीं होता है, यहाँ तक कि गर्मी के दिनों में भी वैसा की वैसा ही रहता है.
तिल का तेल कोई साधारण तेल नहीं है। इसकी मालिश से शरीर काफी आराम मिलता है। यहां तक कि लकवा जैसे रोगों तक को ठीक करने की क्षमता रखता है। इससे अगर आप महिलाएं अपने स्तन के नीचे से ऊपर की ओर मालिश करें, तो स्तन पुष्ट होते हैं। सर्दी के मौसम में इस तेल से शरीर की मालिश करें, तो ठंड का एहसास नहीं होता। इससे चेहरे की मालिश भी कर सकते हैं। चेहरे की सुंदरता एवं कोमलता बनाये रखेगा। यह सूखी त्वचा के लिए उपयोगी है।
तिल का तेल- तिल विटामिन ए व ई से भरपूर होता है। इस कारण इसका तेल भी इतना ही महत्व रखता है। इसे हल्का गरम कर त्वचा पर मालिश करने से निखार आता है। अगर बालों में लगाते हैं, तो बालों में निखार आता है, लंबे होते हैं।
जोड़ों का दर्द हो, तो तिल के तेल में थोड़ी सी सोंठ पावडर, एक चुटकी हींग पावडर डाल कर गर्म कर मालिश करें। तिल का तेल खाने में भी उतना ही पौष्टिक है विशेषकर पुरुषों के लिए।इससे मर्दानगी की ताकत मिलती है!
हमारे धर्म में भी तिल के बिना कोई कार्य सिद्ध नहीं होता है, जन्म, मरण, परण, यज्ञ, जप, तप, पित्र, पूजन आदि में तिल और तिल का तेल के बिना संभव नहीं है अतः इस पृथ्वी के अमृत को अपनायें और जीवन निरोग बनायें। ******* अगर आपको यह article उपयोगी लगा हो तो कृपया इसे अपने मित्रो , रिश्तेदारो और ग्रुपस मे अवश्य शेयर करें।  www.brahmaastha.blogspot.com

जानिये कैसे पहचाने खाने-पीने की मिलावट को?


जानिये कैसे पहचाने खाने-पीने की मिलावट को?

लाल मिर्च पाउडर: ईंट का चूरा, नमक या पाउडर
एक चम्मच लाल मिर्च पाउडर को एक ग्लास पानी में मिक्स कीजिए। अगर यह पानी में रंग छोड़े तो इसमें मिलावट है।

खोया, पनीर: स्टार्च
इसे थोड़े से पानी के साथ उबालें, फिर ठंडा होने पर इसमें आयोडीन सलूशन की कुछ बूंदे्ं डालें। नीला रंग मिलावट का संकेत है।

शहद: शुगर सलूशन
शुद्ध शहद में भीगी हुई कपास की बाती जलाने पर तुरंत जलती है, जबकि मिलावटी शहद में डूबी कपास की बाती उतनी आसानी से नहीं जलती और उससे चटचटाने की आवाज भी आती है।

नारियल का तेल: दूसरे तेल
नारियल तेल की छोटी शीशी फ्रिज में रख दीजिए। नारियल तेल जम जाएगा और मिलावटी तेल एक अलग पर्त की तरह अलग निकल आएगा।

धनिया पाउडर: चोकर और बुरादा
पानी पर थोड़ा सा धनिया पाउडर छिड़कें। बुरादा और चोकर पानी के ऊपर तैरेगा।

दूध: डिटरजेंट, सिंथेटिक मिल्क
10 मिलीलीटर दूध को उतने ही पानी के साथ मिलाएं। अगर झाग निकलती है तो उसमें डिटरजेंट हो सकता है। सिंथेटिक मिल्क का स्वाद थोड़ा खराब होता है। अंगुलियों के बीच लेकर रगड़ने से साबुन जैसा फील होता है और गर्म करने पर पीलापन आ जाता है।

जीरा: चारकोल डस्ट से रंगे हुए ग्रास सीड्स
थोड़ा सा जीरा हथेली पर लेकर मसलिए। अगर जीरा काला हो जाता है तो यह मिलावट का संकेत है।

काली मिर्च: मिनरल ऑइल
मिलावटी काली मिर्च के दानों में काफी चमक होती है और इनसे केरोसिन जैसी स्मेल आती है।

सेब: वैक्स पॉलिश
सेब की चमक देखकर ज्यादा खुश मत होइए। ज्यादातर यह चमक सेब पर वैक्स पॉलिश की वजह से दिखती है। इसकी जांच के लिए बस एक ब्लेड लीजिए और सेब को हल्के-हल्के खुरचिए। अगर कुछ सफेद पदार्थ निकले, तो आपको बधाई क्योंकि आप मोम खाने से बच गए!

पिसी हल्दी: मेटानिल यलो
खाने में पिसी हल्दी का रोजाना इस्तेमाल होता है। हल्दी में मेटानिल येलो की मौजूदगी से कैंसर हो सकता है। इसका टेस्ट भी हल्दी पाउडर में पांच बूंद हाइड्रोक्लोरिक एसिड और पांच बूंद पानी डालकर कर सकते हैं। अगर सैंपल बैंगनी हो जाए, तो हल्दी मिलावटी है।

साबुत हल्दी: पॉलिश
अगर आप पिसी हल्दी में मिलावट से बचने के लिए साबुत हल्दी को लाकर खुद पिसवाते हैं या किसी और तरीके से साबूत हल्दी को इस्तेमाल करते हैं, तो यह भी काफी रिस्की है। हल्दी की पहचान करने के लिए पेपर पर हल्दी को रखकर ठंडा पानी मिलाएं। अगर रंग अलग हो जाए तो हल्दी पॉलिश की हुई है।

दालचीनी: अमरूद की छाल
मसाले में इस्तेमाल होने वाली दालचीनी में अमरूद की छाल मिलाई जाती है। इसे हाथ पर रगड़कर देखें, अगर यह नकली होगी तो कोई कलर नहीं आएगा।

मछली: गोंद
मछलियों में मिलावट के बारे में आपने शायद ही कभी सोचा होगा, लेकिन ऐसा भी होता है। एक कन्ज्यूमर ग्रुप ‘मुंबई ग्राहक पंचायत’ ने मछलियों पर गोंद लगाने का खुलासा किया है। लोग पॉम्फ्रेट मछली का सिर हल्के से दबाकर देखते हैं। सफेद चिपचिपा पदार्थ मछली की ताजगी का सबूत होता है, इसलिए कुछ मछली बेचने वाले बासी मछली के सिर में गोंद लगा देते हैं।

मटर: मेलाकाइट ग्रीन
मटर के दाने खरीदें हैं, तो उसमें से एक हिस्से को पानी में डालकर हिलाएं और 30 मिनट तक छोड़ दें। अगर पानी रंगीन हो जाता है तो नमूने में मेलाकाइट ग्रीन की मिलावट है। ऐसी मिलावटी चीजें खाने से पेट से संबंधित गंभीर बीमारियां (अल्सर, ट्यूमर आदि) होने का खतरा रहता है।

चायपत्ती: यूज्ड
अगली बार चाय बनाने से पहले चायपत्ती को जरूर जांचें। चायपत्ती ठंडे पानी में डालने पर रंग छोड़े तो साफ है कि उसमें मिलावट है या वह एक बार यूज हो चुकी है। ******* अगर आपको यह article उपयोगी लगा हो तो कृपया इसे अपने मित्रो , रिश्तेदारो और ग्रुपस मे अवश्य शेयर करें।  www.brahmaastha.blogspot.com

शकरकंद खाने के लाभ


●●●शकरकंद खाने के लाभ●●●
शकरकंद खाना हर किसी को पसंद होता है। ये स्वादिष्ट लगने के साथ साथ अनेक पोषक तत्वो से भरपूर होता है। ये सर्दियो में मिलने वाला एक मीठा फल है। ये हमारे शरीर को ठण्ड लगने से भी बचाता है।

शकरकंद के सेवन से आँखों के रौशनी बढ़ती है, चेहरे पर पड़ी झुर्रिया खत्म हो जाती है। इसमें निहित गुण हमारे शरीर को अनेक बीमारियो से बचाते है।

जानिए शकरकंद खाने के फायदे
1. कोलाइन तत्व शरीर के लिये काफी जरुरी होता है, यह तत्व शकरकंद में पाया जाता है। इसके सेवन से मासपेशियो की गतिशीलता बढ़ती है, याददाश्त तेज होती है। शकरकंद में दर्द निरोधक तत्व पाया जाता है, जो गठिया, एसिडिटी, हार्टबर्न जैसी बीमारियों से बचाता है।

2. त्वचा रोगों में, अस्थमा में, मधुमेह और थायराइड के रोगी को खाना चाहिए। इसके खाने से इन सभी बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को लाभ होता है।

3. शकरकंद में आयरन अधिक मात्रा में होता है, जिसके कारण ये शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। इसके सेवन से शरीर में लाल और सफ़ेद रक्त कोशिकाये (RBC, WBC) सही तरीके से बनती है।

4. शकरकंद खाने से दिल की धड़कन कण्ट्रोल में रहती है। इसे खाने से मासपेशियो में होने वाली ऐठन भी समाप्त हो जाती है।

5. तनाव दूर करने के लिए भी इसे खाना फायेदमंद है।

6. शकरकंद के अंदर स्टार्च और कैलोरी का स्तर नार्मल होता है। इसमें फाइबर, विटामिन और मिनरल्स जैसे तत्व पाए जाते है। इसके खाने से शरीर में कोलेस्ट्रॉल बिलकुल नहीं बढ़ता।

7. इसके खाने से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है।

8. प्रदर रोग को ठीक करने में ये दवाई का काम करता है। इसमें जिमीकंद की बराबर मात्रा लेकर धुप में सूखा ले। जब यह अच्छी तरह सुख जाये तब दोनों को पीसकर बारीक़ पाउडर बना ले। अब एक गिलास पानी में 2 चम्मच शहद और 2 चम्मच ये पाउडर मिलाकर खाये।

9. इसके खाने से ब्लड प्रेशर कण्ट्रोल में रहता है, और इसका सेवन करने से हार्ट अटैक के सम्भावना भी कम हो जाती है।

10. अल्सर के मरीज को इसका रोजाना सेवन करना चाहिए।

11. जोड़ो के दर्द में इसका उबला पानी लगाने से बहुत आराम मिलता है।

12. शकरकंद में आलू से अधिक फाइबर होता है, जो पाचनशक्ति को बढ़ाता है, और कब्ज को दूर करता है। ******* अगर आपको यह article उपयोगी लगा हो तो कृपया इसे अपने मित्रो , रिश्तेदारो और ग्रुपस मे अवश्य शेयर करें। www.brahmaastha.blogspot.com

हल्‬‍दी वाला दूध पीने के 7 लाभ


हल्‬‍दी वाला दूध पीने के 7 लाभ*
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बहुत फायदेमंद हैं हल्‍दी वाला दूध। दूध जहां कैल्शियम से भरपूर होता है वहीं दूसरी तरफ हल्‍दी में एंटीबायोटिक होता है। दोनों ही आपके स्‍वास्‍थ्‍य के लिए बहुत लाभकारी होते हैं। और अगर दोनों को एक साथ मिला लिया जाये तो इनके लाभ दोगुना हो जायेगें। आइए हल्‍दी वाले दूध के ऐसे फायदों को जानकर आप इसे पीने से खुद को रोक नहीं पायेगें ।

1.सांस संबंधी समस्‍याओं में लाभकारी
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हल्दी में एंटी-माइक्रोबियल गुण होते है, इसलिए इसे गर्म दूध के साथ लेने से दमा, ब्रोंकाइटिस, फेफड़ों में कफ और साइनस जैसी समस्याओं में आराम होता है। यह मसाला आपके शरीर में गरमाहट लाता है और फेफड़े तथा साइनस में जकड़न से तुरन्त राहत मिलती है। साथ ही यह बैक्टीरियल और वायरल संक्रमणों से लड़ने में मदद करता है

2. मोटापा कम करें
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हल्दी वाले दूध को पीने से शरीर में जमी अतिरिक्त चर्बी घटती है। इसमें मौजूद कैल्शियम और मिनिरल और अन्‍य पोषक तत्व वजन घटाने में मदगार होते है।

3. हडि्डयों को मजबूत बनाये
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दूध में कैल्शियम और हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट की मौजूदगी के कारण हल्दी वाला दूध पीने से हडि्डयां मजबूत होती है और साथ ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। हल्दी वाले दूध को पीने से हड्डियों में होने वाले नुकसान और ऑस्टियोपोरेसिस की समस्‍या में कमी आती है ।

4. खून साफ करें
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आयुर्वेदिक परम्‍परा में हल्‍दी वाले दूध को एक बेहतरीन रक्त शुद्ध करने वाला माना जाता है। यह रक्त को पतला कर रक्त वाहिकाओं की गन्दगी को साफ करता है। और शरीर में रक्त परिसंचरण को मजबूत बनाता है।

5. पाचन संबंधी समस्‍याओं में लाभकारी
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हल्‍दी वाला दूध एक शक्तिशाली एंटी-सेप्टिक होता है। यह आंतों को स्‍वस्‍थ बनाने के साथ पेअ के अल्‍सर और कोलाइटिस के उपचार में भी मदद करता है। इसके सेवन से पाचन बेहतर होता है और अल्‍सर, डायरिया और अपच की समस्‍या नहीं होती है।

6. दर्द कम करें
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हल्दी वाले दूध के सेवन से गठिया का निदान होता हैं। साथ ही इसका रियूमेटॉइड गठिया के कारण होने वाली सूजन के उपचार के लिये प्रयोग किया जाता है। यह जोड़ो और मांसपेशियों को लचीला बनाता हकै जिससे दर्द कम हो जाता है

7. गहरी नींद में सहायक
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हल्‍दी शरीर में ट्रीप्टोफन नामक अमीनो अम्ल को बनाता है जो शान्तिपूर्वक और गहरी नींद में सहायक होता है। इसलिए अगर आप रात में ठीक से सो नहीं पा रहें है या आपको बैचेनी हो रही है तो सोने से आधा घंटा पहले हल्दी वाला दूध पीएं। इससे आपको गहरी नींद आएगी और नींद ना आने की समस्या दूर हो जाएगी। ******* अगर आपको यह article उपयोगी लगा हो तो कृपया इसे अपने मित्रो , रिश्तेदारो और ग्रुपस
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