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Monday, February 27, 2017

शरीर में प्राणवायु (ऑक्सीजन) की कमी कैंसर की जड़ ह


*शरीर में प्राणवायु (ऑक्सीजन) की कमी कैंसर की जड़ है* ।
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दुर्भाग्य है की जो बात हमारे ऋषि मुनि हजारो वर्ष पहले लिख कर चले गए वही बात आज यदि कोई नोबल पुरस्कार विजेता बोले तो ही हमे सही लगती है ।

1931 में Otto Warburg को कैंसर के असली कारण की खोज के लिए नोबल पुरस्कार मिला था ।
कैंसर का असली कारण  शरीर में ऑक्सीजन की कमी है ।
- ऑक्सीजन की कमी से शरीर अम्लीय (Acidic) हो जाता है ।
- शोध में यह भी पता चला की कैंसर की कोशिकाएं (Cells) अवायवीय अर्थात ऑक्सीजन के बिना जीवित रहने वाली (Anaerobic - Which Do not breath Oxygen) होती है ।

- जिस शरीर में ऑक्सीजन अधिक होगी वहां कैंसर की कोशिकाए जीवित नहीं रह सकती ।
- और जिस शरीर में ऑक्सीजन अधिक होगी वह शरीर क्षारीय होगा ।
- क्षारीय शरीर में कैंसर या कोई और बीमारी नहीं आ सकती है ।
- सामान्य कोशिकाएं ऑक्सीजन के बिना जीवित नहीं रह सकती परन्तु कैंसर की कोशिकाए बिना किसी अपवाद के ऑक्सीजन की कमी के बाद भी जीवित  रह सकती है ।

      यदि एक कोशिका को 48 घंटे तक आवश्यकता से 35% कम ऑक्सीजन देते रहो तो  बहुत सम्भावना है की वो कैंसरकारक कोशिका में बदल जाएगी ।

हमारा खानपान ही हमारे शरीर को क्षारीय और अम्लीय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ।

pH स्तर क्या है?
pH स्तर यदि 7 से अधिक है तो क्षारीय है परन्तु यदि
pH स्तर यदि 7 से नीचे है तो अम्लीय होता है ।
इसलिए शरीर को जीवित रहने के लिए एक आदर्श pH स्तर (7.365) बनाये रखता है जो की थोडा क्षारीय है
दुर्भाग्य से आज हमारे खान पान में अधिकतर भोजन ऐसा है जो हमारे शरीर के pH को अम्लीय बनाता है
जिसमे मुख्य रिफाइंड तेल है।
pH स्तर की यही गड़बड़ी से शरीर को बहुत हानि पहुचती है । जिससे अधिक अम्लीय pH स्तर वाले शरीर में कैंसर, ह्रदय रोग, मधुमेह, हड्डी, सीने में जलन आदि रोग होते है ।

अधिक समय तक अम्लीय शरीर रहने पर बुढ़ापा जल्दी आता है ,  क्योंकि परजीवी, बुरा बैक्टीरिया, वायरस, और फंगस आदि अम्लीय वातावरण में अधिक पनपते है , परन्तु क्षारीय वातावरण इनके लिए मृत्यु है ।
महानगरो में प्रदुषण के कारण वातावरण में ऑक्सीजन की उपस्थिति 21% से कम ही बची है  और  उस पर गलत खानपान रिफाईनड तेल तथा पांम आंयल आदि के कारण शरीर में अम्लता और वातावरण में उपस्थित कम ऑक्सीजन के कारण घर घर में कैंसर बढता जा रहा है ।
अतः रिफाईनड छोड कर सिर्फ कच्ची घाणी का तेल ही इस्तेमाल करना चाहिए।

यदि कोई अम्लीय भोजन करना हो तो प्रातः काल में थोडा बहुत कर ले, परन्तु रात के भोजन में या बेहतर होगा यदि 9 बजे के बाद किसी भी प्रकार का अम्लीय भोजन से बचे ।
*************************** । आक्सीजन निर्माण के स्त्रोत..

- *छाछ* :- देशी गौमाता के दूध की छाछ (दही से मक्खन निकलने के बाद बचा पदार्थ) प्रातः काल पीने से शरीर को भरपूर प्राणवायु मिलती है  इसमें लगभग 30 % आक्सीजन मिलती है ।

- *गौ-भस्म* :-  देसी गाय के गोबर से बनी भस्म में लगभग 43% ऑक्सीजन मिलती है जिसे पानी में मिलाकर पीने से प्राणवायु का संचार शरीर में होता है ।

- *देशी घृत और तिल का तेल* :- 10 ग्राम देशी गाय के घी को या तिल का तेल से दीपक में या हवन में जलाने से 1000 किलो ऑक्सीजन बनती है जो यदि शरीर में जाएगी तो कैंसर सेल्स को पनपने नहीं देती है ।इस लिए सभी देवी देवताओं को तिल के तेल या घी का दीपक जलाया जाता है और हवन में तिल, जौ, अक्षत के साथ घी से हवन किया जाता है। ******* अगर आपको यह article उपयोगी लगा हो तो कृपया इसे अपने मित्रो , रिश्तेदारो और ग्रुपस मे अवश्य शेयर करें।  www.brahmaastha.blogspot.com

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